यह कहानी मेरी भाभी की है जो
बेचारी अपनी चूत की प्यास से
परेशान थी और मैंने उसको पानी
पिलाया।
कैसे?
यह आप आगे पढ़िए।
मेरे दो ताऊ हैं, छोटे ताऊ के दो लड़के
हैं, छोटा लड़का मुझसे चार साल
बड़ा है पर बिल्कुल पतला सा और
लम्बाई 6 फुट। ऐसा लगता है जैसे उसे
एक थप्पड़ मार दिया तो वो सात
दिन तक चारपाई से न उठे।
खैर उन दोनों की शादी एक साथ हो
गई। बड़ी भाभी तो उम्र और फिगर से
बड़े भाई के लिए फिट थी पर छोटी
छोटे से लम्बाई और उम्र दोनों में ही
काफी छोटी थी। उसकी लम्बाई
5.3 और उम्र मुझसे भी कम, चूची और
गाण्ड शरीर के हिसाब से मस्त थी।
दिखने में बड़ी भाभी से सुन्दर और
सेक्सी थी। उसको देखते ही मैंने उसे
चोदने की सोच ली और उनकी पहली
चुदाई देखने का इन्तजाम कर लिया।
जिस कमरे में उनकी सुहाग रात मननी
थी, उसके पीछे की तरफ खाली जगह
थी और रोशनदान भी था। मैं वहाँ
सीढ़ी लगाकर बैठ गया और
वीडियो के लिए मोबाइल तैयार कर
लिया।
भाई कमरे में आकर टी वी देखने लगे।
थोड़ी देर बाद भाभियाँ भाभी को
गेट तक छोड़ गई। भाभी के हाथ में दूध
का गिलास था और अन्दर आकर
खड़ी हो गई। उन्होंने प्याजी रंग के
लहँगा-चुन्ऩी पहने थे और घूंघट किया
हुआ था।
भाई बोले- यहाँ आ जाओ, वहाँ क्यों
खड़ी हो?
भाभी चुप खड़ी रही। भाई ने उठकर
दरवाजा बन्द किया और भाभी का
हाथ पकड़कर बेड के पास ले आए।
भाभी ने हाथ बढ़ाकर गिलास भाई
की तरफ बढ़ाया। भाई ने गिलास
लेकर मेज पर रख दिया और भाभी का
हाथ पकड़कर बेड पर खींचा। भाभी
थोड़ा सम्भलकर बेड पर बैठ गई। भाई
ने उनका घूंघट उठाया। भाभी का
चेहरा शर्म और डर से नीचे झुका था।
भाई ने चेहरा ऊपर किया तो मैं
देखता ही रह गया।
क्या लग रही थी !
कुछ मेकअप की लाली और शर्म की
लाली उनकी सुन्दरता और बढ़ा रही
थी।
जैसा मैं सोच रहा था वैसा कुछ नहीं
हुआ। भाई ने थोड़ी देर बात की और
फ़िर चूमने लगे। भाभी का शरीर काँप
रहा था। फिर भाई ने अपनी पैंट और
अण्डरवीयर उतार दी। उनका लण्ड
उनके जैसा ही पतला था, कोई 4-5
इन्च लम्बा।
भाभी चेहरा नीचे करके बैठी थी।
भाई ने उनको अपनी तरफ खींचा और
लहँगा उतारने लगे। भाभी मना कर
रही थी पर उन्होंने नाड़ा खोलकर
लहँगा उतार दिया।
भाभी ने कुछ गुलाबी रंग की पैंटी
पहनी थी जिसमें उनके मस्त चूतड़
साफ दिख रहे थे।
भाई ने जल्दी ही पैंटी भी उतार दी
और भाभी के पैर अपनी तरफ कर
लिए। ना तो मुझे उनका चेहरा दिख
रहा था और ना ही चूत के दर्शन हुए।
भाभी धीरे धीरे कुछ बोल रही थी
पर मुझे सुनाई नहीं दे रहा था।
भाई पैरों के बीच बैठकर लण्ड चूत में
डालने लगे। पर शायद अन्दर नहीं डाल
पा रहे थे।
भाभी कसमसा रही थी। भाभी ने
हाथ चूत की तरफ बढ़ाया और लण्ड
पकड़कर चूत पर लगा दिया। भाई ने
धक्का मारा तो शायद लण्ड चूत में
चला गया। भाभी के मुँह से हल्की
सी चीख निकली। भाई ने 5-6 धक्के
और मारे और भाभी के ऊपर लुढ़क गये।
भाभी गाण्ड हिला रही थी पर
भाई चुपचाप उठे और दूध पी कर सो
गये।
भाभी बैठी और चूत में उंगली डाल कर
हिलाने लगी। कुछ देर बाद शान्त हो
गई। भाभी ने उंगली निकाली और
देखने लगी। उस पर खून लगा था।
यह सब देखकर मेरा लण्ड पैंट फाड़ने
को तैयार हो गया। मन कर रहा था
कि भाई को पीटूँ और भाभी को ढंग
से चोदूँ पर मैंने सीढ़ी पर बैठ कर ही
मुठ मार ली और वीर्य निकाल
दिया। मैं मन ही भाई को गाली दे
रहा था। कमीने ने सील तो तोड़ दी
पर बेचारी की प्यास नहीं बुझाई।
भाभी चुप बैठी कुछ सोच रही थी।
मैं वहाँ से आकर लेट गया और भाभी
को सोचकर एक बार फिर मुठ मारी
और सो गया।
दूसरे दिन मैं उनके घर गया। दोनों
भाभियाँ बैठी थी, मैं उनसे मजाक
करने लगा।
मैं बोला- रात खूब मजे लिए?
बड़ी भाभी बोली- मजे वाली रात
थी तो मौज भी ली ही जाएगी।
मैं बोला- थोड़ी मौज हमें भी दे दो।
छोटी भाभी बोली- आप भी
शादी कर लो। तुम्हारी भी मौज आ
जाएगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला-
भाभी, तुम हो तो शादी की क्या
जरुरत है। तुम ही दे दो। आधी
घरवाली तो तुम भी लगती हो?
वो बोली- ना बाबा ना ! मुझे नहीं
लेना देना कुछ।
बड़ी भाभी खुलकर बोली- रेनू इनकी
बातों पर मत जाना। जितनी इनकी
उम्र है उससे ज्यादा लड़कियाँ चोदी
है इन्होंने।
मैं बोला- अरे भाभी, चोदना तो दूर
अभी तक दर्शन भी नहीं किये।
भाभी बोली- मुझे सब पता है तुम्हारे
बारे में। तुम्हारा किससे चक्कर था
और अब किस किस से है। तुम्हारे भाई
ने सब बता रखा है।
“अच्छा?”
“हाँ !”
“मेरी छोड़ो, तुम बताओ रात कैसी
बीती?”
“देवरिया ! तुम्हारे भाई ने रात भर
साँस नहीं लेनी दी। जो भी है मजा
आ गया।”
मैं बोला- रात गलती हो गई।
“क्या?”
“तुम्हारी सुहाग रात देखनी चाहिए
थी, रेनू भाभी की नहीं।”
छोटी भाभी बोली- क्या तुमने हमें
देखा?
“हाँ !”
“तुम झूठ बोल रहे हो।”
“अच्छा तो तुम ही बताओ कि तुमने
गुलाबी पैंटी पहनी थी या नहीं?”
“आ अ !” भाभी के मुँह से निकला और
शर्म से मुँह नीचे कर लिया।
तभी बड़ी भाभी को भाई ने बुला
लिया।
“भाभी, आज दिन मैं भी साँस नहीं
लेने देंगे।”
भाभी हँसती हुई चली गई।
छोटी भाभी बोली- राज जी तुमने
रात को सच में हमें देखा?
“तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ?”
भाभी उदास सी हो गई और चुप बैठ
गई।
मैं बोला- क्या तुम नाराज हो मेरे
देखने से?
नहीं, देवर तो सभी के ऐसा करते हैं।
उनकी आँखों में आँसू आ गये।
मैंने उनका चेहरा ऊपर किया और आँसू
पोछते हुए बोला- भाभी, मैं तुम्हारा
दुख समझ सकता हूँ। मेरा रात ही
मनकर रहा था कि तुम्हारे पास आ
जाऊँ और तुम्हारी उंगली की जगह
अपना डाल दूँ।
भाभी मेरे कन्धे पर सिर रखकर रोने
लगी।
मैं उनका मूड बदलने के लिए बोला-
अब तो बन जाओ आधी घरवाली।
भाभी मुस्कुराने लगी।
मैंने उनके आँसू पौंछे और गाल पर चुम्मा
ले लिया।
भाभी शरमा गई और बोली- बहुत
चालाक हो? तुम मेरी मजबूरी का
फायदा उठाना चाहते हो।
“नहीं भाभी ! जब से तुम्हें देखा है
तुम्हारा दीवाना बन गया हूँ।”
“झूठ बोल रहे हो?”
“कसम से भाभी ! आई लव यू। क्या मैं
तुम्हें पसन्द नहीं हूँ?”
“ऐसी बात नहीं है पसन्द तो हो पर !”
“पर क्या?”
“कुछ नहीं।”
“भाभी बोलो न? नहीं तो मैं मर
जाऊँगा।”
भाभी ने मेरे होंटों पर उंगली रखी
और बोली- चुप ! ऐसा नहीं बोलते।
“तो बोलो- यू लव मी?”
“हाँ ! ठीक है, मैं तुम्हारी आधी नहीं
पूरी घरवाली बनने को तैयार हूँ।”
मैं उनकी उगँली मुँह में लेकर चूसने लगा।
उन्होंने उंगली निकाली और मेरा
हाथ पकड़ कर बोली- राज जी,
बताओ…
मैं बीच में बोला- राज जी, नहीं
सिर्फ राज !
“ठीक है, पर तुम भी भाभी नहीं
बोलोगे और मेरा नाम लोगे.”
“नाम नहीं, मेरी जान हो तुम !”
“ठीक है मेरे जानू, यह बताओ तुम्हें
मुझमें क्या अच्छा लगता है?”
“ऐसी कोई चीज ही नहीं जो अच्छी
न लगती हो !”
भाभी बोली- सबसे अच्छा क्या
लगता है?
“तुम्हारे होंट !” कहकर मैं चुम्बन करने
लगा।
“ओ हो ! अभी नहीं ! कोई आ
जाएगा !” और मुझे अलग कर दिया।
“और बताओ?”
“और तुम्हारी ये मोटी मोटी चूचियाँ
जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड सलामी देने
लगता है !” मैं चूचियाँ मसलते हुए
बोला।
“तुम तो बहुत बेशर्म हो। मैं बोल रही हूँ
ना कि कोई आ जायेगा।” उनकी
आवाज में सेक्सी अन्दाज था।
मैं बोला- जानू, क्या करूँ, रुका ही
नहीं जा रहा।
मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो पैंट
से साफ दिख रहा था।
भाभी लण्ड पर हाथ रखते हुए बोली-
जानू, अपने इससे कहो कि गुस्सा न
करे और समय का इन्तजार करे।
“इन्तजार में तो मर जाऊँगा !”
“फिर वही? मरें तुम्हारे दुश्मन !” और
मेरे होंटों को चूम लिया।
फिर हम बैठकर बातें करने लगे।
वो बोली- कितनी लड़कियों के
साथ किया है?
“क्या किया है?”
“इतने शरीफ मत बनो।”
“तो साफ साफ़ बोलो कि क्या
पूछना है।”
“अरे जानू, मेरा मतलब है कितनी
लड़कियाँ चोदी हैं अब तक?”
“पाँच !”
“पाँच?”
“हाँ ! पर जान, तेरे जैसी नहीं मिली।”
“झूठ बोल रहे हो ! पाँच को चोद
डाला और मेरी जैसी नहीं मिली?”
“सच बोल रहा हूँ जानू !”
“अब तो मिल गई?”
“अभी कहाँ मिली है?”
“बहुत शैतान हो !” कहते हुए हँसने लगी।
मैं बोला- अभी देखा ही क्या है
तुमने?”
“तो देख लेंगे !”
तभी भाई आ गये और बोले- क्या
बात चल रही है भाभी-देवर में?
मैं बोला- तुम्हारे बारे में ही चल रही
है।
“क्या?”
भाभी बता रही थी कि आपने रात
इन्हें कितना सताया।
“अच्छा?”
“हाँ !”
“चलो, तुम मौज लो, मैं चलता हूँ !” और
मैं वहाँ से आ गया।
कहानी जारी रहेगी।
बेचारी अपनी चूत की प्यास से
परेशान थी और मैंने उसको पानी
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प्यासी भाभी |
पिलाया।
कैसे?
यह आप आगे पढ़िए।
मेरे दो ताऊ हैं, छोटे ताऊ के दो लड़के
हैं, छोटा लड़का मुझसे चार साल
बड़ा है पर बिल्कुल पतला सा और
लम्बाई 6 फुट। ऐसा लगता है जैसे उसे
एक थप्पड़ मार दिया तो वो सात
दिन तक चारपाई से न उठे।
खैर उन दोनों की शादी एक साथ हो
गई। बड़ी भाभी तो उम्र और फिगर से
बड़े भाई के लिए फिट थी पर छोटी
छोटे से लम्बाई और उम्र दोनों में ही
काफी छोटी थी। उसकी लम्बाई
5.3 और उम्र मुझसे भी कम, चूची और
गाण्ड शरीर के हिसाब से मस्त थी।
दिखने में बड़ी भाभी से सुन्दर और
सेक्सी थी। उसको देखते ही मैंने उसे
चोदने की सोच ली और उनकी पहली
चुदाई देखने का इन्तजाम कर लिया।
जिस कमरे में उनकी सुहाग रात मननी
थी, उसके पीछे की तरफ खाली जगह
थी और रोशनदान भी था। मैं वहाँ
सीढ़ी लगाकर बैठ गया और
वीडियो के लिए मोबाइल तैयार कर
लिया।
भाई कमरे में आकर टी वी देखने लगे।
थोड़ी देर बाद भाभियाँ भाभी को
गेट तक छोड़ गई। भाभी के हाथ में दूध
का गिलास था और अन्दर आकर
खड़ी हो गई। उन्होंने प्याजी रंग के
लहँगा-चुन्ऩी पहने थे और घूंघट किया
हुआ था।
भाई बोले- यहाँ आ जाओ, वहाँ क्यों
खड़ी हो?
भाभी चुप खड़ी रही। भाई ने उठकर
दरवाजा बन्द किया और भाभी का
हाथ पकड़कर बेड के पास ले आए।
भाभी ने हाथ बढ़ाकर गिलास भाई
की तरफ बढ़ाया। भाई ने गिलास
लेकर मेज पर रख दिया और भाभी का
हाथ पकड़कर बेड पर खींचा। भाभी
थोड़ा सम्भलकर बेड पर बैठ गई। भाई
ने उनका घूंघट उठाया। भाभी का
चेहरा शर्म और डर से नीचे झुका था।
भाई ने चेहरा ऊपर किया तो मैं
देखता ही रह गया।
क्या लग रही थी !
कुछ मेकअप की लाली और शर्म की
लाली उनकी सुन्दरता और बढ़ा रही
थी।
जैसा मैं सोच रहा था वैसा कुछ नहीं
हुआ। भाई ने थोड़ी देर बात की और
फ़िर चूमने लगे। भाभी का शरीर काँप
रहा था। फिर भाई ने अपनी पैंट और
अण्डरवीयर उतार दी। उनका लण्ड
उनके जैसा ही पतला था, कोई 4-5
इन्च लम्बा।
भाभी चेहरा नीचे करके बैठी थी।
भाई ने उनको अपनी तरफ खींचा और
लहँगा उतारने लगे। भाभी मना कर
रही थी पर उन्होंने नाड़ा खोलकर
लहँगा उतार दिया।
भाभी ने कुछ गुलाबी रंग की पैंटी
पहनी थी जिसमें उनके मस्त चूतड़
साफ दिख रहे थे।
भाई ने जल्दी ही पैंटी भी उतार दी
और भाभी के पैर अपनी तरफ कर
लिए। ना तो मुझे उनका चेहरा दिख
रहा था और ना ही चूत के दर्शन हुए।
भाभी धीरे धीरे कुछ बोल रही थी
पर मुझे सुनाई नहीं दे रहा था।
भाई पैरों के बीच बैठकर लण्ड चूत में
डालने लगे। पर शायद अन्दर नहीं डाल
पा रहे थे।
भाभी कसमसा रही थी। भाभी ने
हाथ चूत की तरफ बढ़ाया और लण्ड
पकड़कर चूत पर लगा दिया। भाई ने
धक्का मारा तो शायद लण्ड चूत में
चला गया। भाभी के मुँह से हल्की
सी चीख निकली। भाई ने 5-6 धक्के
और मारे और भाभी के ऊपर लुढ़क गये।
भाभी गाण्ड हिला रही थी पर
भाई चुपचाप उठे और दूध पी कर सो
गये।
भाभी बैठी और चूत में उंगली डाल कर
हिलाने लगी। कुछ देर बाद शान्त हो
गई। भाभी ने उंगली निकाली और
देखने लगी। उस पर खून लगा था।
यह सब देखकर मेरा लण्ड पैंट फाड़ने
को तैयार हो गया। मन कर रहा था
कि भाई को पीटूँ और भाभी को ढंग
से चोदूँ पर मैंने सीढ़ी पर बैठ कर ही
मुठ मार ली और वीर्य निकाल
दिया। मैं मन ही भाई को गाली दे
रहा था। कमीने ने सील तो तोड़ दी
पर बेचारी की प्यास नहीं बुझाई।
भाभी चुप बैठी कुछ सोच रही थी।
मैं वहाँ से आकर लेट गया और भाभी
को सोचकर एक बार फिर मुठ मारी
और सो गया।
दूसरे दिन मैं उनके घर गया। दोनों
भाभियाँ बैठी थी, मैं उनसे मजाक
करने लगा।
मैं बोला- रात खूब मजे लिए?
बड़ी भाभी बोली- मजे वाली रात
थी तो मौज भी ली ही जाएगी।
मैं बोला- थोड़ी मौज हमें भी दे दो।
छोटी भाभी बोली- आप भी
शादी कर लो। तुम्हारी भी मौज आ
जाएगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोला-
भाभी, तुम हो तो शादी की क्या
जरुरत है। तुम ही दे दो। आधी
घरवाली तो तुम भी लगती हो?
वो बोली- ना बाबा ना ! मुझे नहीं
लेना देना कुछ।
बड़ी भाभी खुलकर बोली- रेनू इनकी
बातों पर मत जाना। जितनी इनकी
उम्र है उससे ज्यादा लड़कियाँ चोदी
है इन्होंने।
मैं बोला- अरे भाभी, चोदना तो दूर
अभी तक दर्शन भी नहीं किये।
भाभी बोली- मुझे सब पता है तुम्हारे
बारे में। तुम्हारा किससे चक्कर था
और अब किस किस से है। तुम्हारे भाई
ने सब बता रखा है।
“अच्छा?”
“हाँ !”
“मेरी छोड़ो, तुम बताओ रात कैसी
बीती?”
“देवरिया ! तुम्हारे भाई ने रात भर
साँस नहीं लेनी दी। जो भी है मजा
आ गया।”
मैं बोला- रात गलती हो गई।
“क्या?”
“तुम्हारी सुहाग रात देखनी चाहिए
थी, रेनू भाभी की नहीं।”
छोटी भाभी बोली- क्या तुमने हमें
देखा?
“हाँ !”
“तुम झूठ बोल रहे हो।”
“अच्छा तो तुम ही बताओ कि तुमने
गुलाबी पैंटी पहनी थी या नहीं?”
“आ अ !” भाभी के मुँह से निकला और
शर्म से मुँह नीचे कर लिया।
तभी बड़ी भाभी को भाई ने बुला
लिया।
“भाभी, आज दिन मैं भी साँस नहीं
लेने देंगे।”
भाभी हँसती हुई चली गई।
छोटी भाभी बोली- राज जी तुमने
रात को सच में हमें देखा?
“तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ?”
भाभी उदास सी हो गई और चुप बैठ
गई।
मैं बोला- क्या तुम नाराज हो मेरे
देखने से?
नहीं, देवर तो सभी के ऐसा करते हैं।
उनकी आँखों में आँसू आ गये।
मैंने उनका चेहरा ऊपर किया और आँसू
पोछते हुए बोला- भाभी, मैं तुम्हारा
दुख समझ सकता हूँ। मेरा रात ही
मनकर रहा था कि तुम्हारे पास आ
जाऊँ और तुम्हारी उंगली की जगह
अपना डाल दूँ।
भाभी मेरे कन्धे पर सिर रखकर रोने
लगी।
मैं उनका मूड बदलने के लिए बोला-
अब तो बन जाओ आधी घरवाली।
भाभी मुस्कुराने लगी।
मैंने उनके आँसू पौंछे और गाल पर चुम्मा
ले लिया।
भाभी शरमा गई और बोली- बहुत
चालाक हो? तुम मेरी मजबूरी का
फायदा उठाना चाहते हो।
“नहीं भाभी ! जब से तुम्हें देखा है
तुम्हारा दीवाना बन गया हूँ।”
“झूठ बोल रहे हो?”
“कसम से भाभी ! आई लव यू। क्या मैं
तुम्हें पसन्द नहीं हूँ?”
“ऐसी बात नहीं है पसन्द तो हो पर !”
“पर क्या?”
“कुछ नहीं।”
“भाभी बोलो न? नहीं तो मैं मर
जाऊँगा।”
भाभी ने मेरे होंटों पर उंगली रखी
और बोली- चुप ! ऐसा नहीं बोलते।
“तो बोलो- यू लव मी?”
“हाँ ! ठीक है, मैं तुम्हारी आधी नहीं
पूरी घरवाली बनने को तैयार हूँ।”
मैं उनकी उगँली मुँह में लेकर चूसने लगा।
उन्होंने उंगली निकाली और मेरा
हाथ पकड़ कर बोली- राज जी,
बताओ…
मैं बीच में बोला- राज जी, नहीं
सिर्फ राज !
“ठीक है, पर तुम भी भाभी नहीं
बोलोगे और मेरा नाम लोगे.”
“नाम नहीं, मेरी जान हो तुम !”
“ठीक है मेरे जानू, यह बताओ तुम्हें
मुझमें क्या अच्छा लगता है?”
“ऐसी कोई चीज ही नहीं जो अच्छी
न लगती हो !”
भाभी बोली- सबसे अच्छा क्या
लगता है?
“तुम्हारे होंट !” कहकर मैं चुम्बन करने
लगा।
“ओ हो ! अभी नहीं ! कोई आ
जाएगा !” और मुझे अलग कर दिया।
“और बताओ?”
“और तुम्हारी ये मोटी मोटी चूचियाँ
जिन्हें देखते ही मेरा लण्ड सलामी देने
लगता है !” मैं चूचियाँ मसलते हुए
बोला।
“तुम तो बहुत बेशर्म हो। मैं बोल रही हूँ
ना कि कोई आ जायेगा।” उनकी
आवाज में सेक्सी अन्दाज था।
मैं बोला- जानू, क्या करूँ, रुका ही
नहीं जा रहा।
मेरा लण्ड खड़ा हो गया था जो पैंट
से साफ दिख रहा था।
भाभी लण्ड पर हाथ रखते हुए बोली-
जानू, अपने इससे कहो कि गुस्सा न
करे और समय का इन्तजार करे।
“इन्तजार में तो मर जाऊँगा !”
“फिर वही? मरें तुम्हारे दुश्मन !” और
मेरे होंटों को चूम लिया।
फिर हम बैठकर बातें करने लगे।
वो बोली- कितनी लड़कियों के
साथ किया है?
“क्या किया है?”
“इतने शरीफ मत बनो।”
“तो साफ साफ़ बोलो कि क्या
पूछना है।”
“अरे जानू, मेरा मतलब है कितनी
लड़कियाँ चोदी हैं अब तक?”
“पाँच !”
“पाँच?”
“हाँ ! पर जान, तेरे जैसी नहीं मिली।”
“झूठ बोल रहे हो ! पाँच को चोद
डाला और मेरी जैसी नहीं मिली?”
“सच बोल रहा हूँ जानू !”
“अब तो मिल गई?”
“अभी कहाँ मिली है?”
“बहुत शैतान हो !” कहते हुए हँसने लगी।
मैं बोला- अभी देखा ही क्या है
तुमने?”
“तो देख लेंगे !”
तभी भाई आ गये और बोले- क्या
बात चल रही है भाभी-देवर में?
मैं बोला- तुम्हारे बारे में ही चल रही
है।
“क्या?”
भाभी बता रही थी कि आपने रात
इन्हें कितना सताया।
“अच्छा?”
“हाँ !”
“चलो, तुम मौज लो, मैं चलता हूँ !” और
मैं वहाँ से आ गया।
कहानी जारी रहेगी।
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