![]() |
शरीर को आराम देने के लिए |
अगर आप लोगों को हमारा ब्लॉग कैसा लगा उसके बारे में लोआंग नीचे कॉमेंट बॉक्स में अपना सुझाव लिख सकते है
अलार्म लगाते हैं, मतलब नींद नहीं पूरी हुई
दिन
की शुरुआत चिकित्सक की इस चेतावनी के साथ हुई कि हम ज़रूरत भर की नींद को लेकर अति
आत्मविश्वास के शिकार हैं. प्रमुख बात यह है कि हम कैसे जानते हैं कि नींद पूरी हो
चुकी है या नहीं.
ऑक्सफोर्ड
विश्विद्यालय के प्रोफ़ेसर रसल फोस्टर ने कहा, ''यदि जागने के लिए आपको अलार्म का सहारा लेना
पड़ता है या सुबह-सुबह कैफीन वाले पेय पदार्थ पीने के आदी हैं तो आपको और नींद की
ज़रूरत है.''
फोस्टर
कहते हैं कि कम नींद हमें चिड़चिड़ा और बेचैन बना देती है. इसके अलावा यह गाड़ी
चलाने के दौरान ख़तरे को भी दावत देती है और आपको सामान्य की अपेक्षा ज़्यादा
तुनकमिजाज बना देती है.
प्रोफ़ेसर
रसेल का कहना था कि लोगों को अपनी जीवनचर्या पर ध्यान देने की ज़रूरत है और इस पर
नियंत्रण रखने की ज़रूरत है.
ओलंपिक
तैराकों को सुबह पसंद नहीं
![]() |
अच्छी सेहत के लिए |
पूरे
दिन के दौरान शारीरिक गतिविधि में काफ़ी उतार चढ़ाव आता रहता है. दिन में दोपहर
बाद मांसपेशियां बाकी समय की अपेक्षा 6 प्रतिशत ज़्यादा मजबूत होती हैं.
दोपहर
बाद दिल और फेफड़े बेहतर तरीके से काम करते हैं और शरीर का तापमान अधिक होता है, जो एक स्वाभाविक व्यायाम की तरह
होता है.
ओलंपिक
में कांस्य पदक विजेता तैराक स्टीव पैरी ने बीबीसी रेडियो 5 लाइव को बताया, "यही कारण है कि पेशेवर एथलीट शाम को प्रतिस्पर्धा में शामिल होते हैं,
क्योंकि हम जानते हैं कि इस दौरान उनका प्रदर्शन बेहतर होता है.
मैंने शाम के समय ही अपना ओलंपिक पदक जीता था.''
वे
कहते हैं, ''ओलंपिक
की तैयारी के लिए कड़ा अभ्यास हम दोपहर बाद ही करते हैं, क्योंकि
आपका शरीर प्रदर्शन के लिए तैयार रहता है. हम इसे सुबह करने की नहीं सोचते.''
स्टीव
कहते हैं, ''बीजिंग
में अंतिम मुकाबला शाम की बजाय सुबह आयोजित किया गया और हमने देखा कि बहुत से
तैराक अपनी ही क्षमता से कमतर प्रदर्शन किया.''
दवाएं
भी असर डालती हैं
![]() |
हमारे शरीर के महत्त्व पूर्ण अंग |
दिन
में हमारी गतिशीलता के अनुरूप हमारी जैव घड़ी भी परिवर्तित होती रहती है. इसमें
दवाओं के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया भी शामिल है.
क्रोनोथेरेपी
जैव घड़ी के इलाज की एक विधि है जिसमें हमारे श्वसन और स्पंदन की गति को नियंत्रित
किया जाता है.
कैंसर
के इलाज में जैव घड़ी का इस्तेमाल करने की शुरुआत करने वाले प्रोफ़ेसर फ्रांसिस
लेवी का कहना है, ''हमारी
कोशिकाओं में जैव घड़ी होती है, जो दवाओं के उपापचय का नियमन
करती हैं. इसलिए कुछ दवाएं रात में और कुछ दिन में देने पर ज़्यादा असरकारक होती
हैं.''
उन्होंने
कहा, ''हमने
पाया है कि क्रोनोथेरेपी इलाज की विषाक्तता को कम करती है और मरीज की हालत में
सुधार लाती है.''
देर से भोजन, मोटापे को बढ़ाता है
हम
जानते हैं कि जितनी ज़्यादा कैलोरी लेंगे, मोटापा उतना बढ़ेगा, लेकिन
भोजन के समय का भी मोटापे पर असर होता है.
जिस
तरह से ड्रग्स के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया दिन के दौरान बदलती रहती है, ठीक यही मामला भोजन के साथ भी
है.
देर
शाम को वसा और शर्करा के पाचन की प्रक्रिया धीमी होती है, जिससे मोटापे और मधुमेह का
ख़तरा बढ़ सकता है. यह समस्या खास तौर पर विभिन्न पालियों में काम करने वाले
कर्मचारियों के साथ होती है.
सूरी
विश्वविद्यालय से जुड़े डॉ. विक्टोरिया रेवेल ने बीबीसी न्यूज़ चैनल को बताया, ''हम जानते हैं कि पूरे दिन के
अंतराल में हमारी उपापचय प्रक्रिया बदलती रहती है और दिन की शुरुआत में हमारा शरीर
भारी भोजन को भी आसानी से पचा लेगा.''
वे
कहती हैं, ''जो
देर से भोजन करते हैं, भोजन पचाने में उनके शरीर को मुश्किल
होती है और इसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है.''
नीली रोशनी आपकी नींद भगाती है
हमारे
शरीर की जैव घड़ी दिन की शुरुआत के साथ ही प्रकाश के अनुरूप काम करती है और शाम के
वक्त ज़्यादा रोशनी हमें जगाए रख सकती है.
स्मार्टफ़ोन, टैबलेट, कम्प्यूटर
और एलइडी बल्बों में पर्याप्त नीली रोशनी होती है. यह जैव घड़ी को प्रभावित करती
है.
हार्वर्ड
मेडिकल स्कूल के प्रोफ़ेसर ज़ीज्लर के अनुसार, ''शाम को रोशनी का प्रभाव, खासकर
छोटी तरंगदैर्ध्य वाली नीली रोशनी हमारी जैव घड़ी को और आगे खिसका देगी, जिससे नींद लाने वाले हार्मोन मिलैटोनिन के स्राव में देरी होती है और
सुबह उठने में यह मुश्किल पैदा करती है.''
कब जाते हैं सोने
पूरे
दिन के दौरान जैव घड़ी की गतिविधि को जांचने के लिए इवान डेविस और साराह मोंटाग्यू
की सोने की आदत को मॉनिटर किया गया.
बीबीसी
रेडियो 4 के
उद्घोषकों ने इस प्रयोग में हिस्सा लिया.
सराह
और इवान, दोनों
ने ही स्वाभाविक रूप से सुबह की बजाय देर शाम का समय चुना.
देर रात में सोने जाने के कारण उनकी दिनचर्या भी
देर से शुरू होती है.
No comments:
Post a Comment